मंगलवार, 29 मई 2012

बाल्टी और नल

गर्मी का मौसम
दहकते अंगारों के बीच
ये बाल्टी
इंतजार में है नल के
जब बाल्टी खाली होती
तब रुठ जाता है नल
मुए मुंशीपाल्टी वाले
भरने नहीं देते बाल्टी
आधी बाल्टी भरते ही
चला जाता है नल
मोंटू की दो चार नैपी धोकर
टांगती हूँ नल पे
बाकी कपड़े तो धोबी के हवाले
खर्च बढ गया धुलाई का
कपड़े भी ठीक से नहीं धोता
प्यासी रह जाती है बाल्टी
और ठगा सा खड़ा रहता है नल
पानी का बिल भरना पड़ता है पूरा
पीने के लिए लाना होता है
मिनरल वाटर
मंहगाई सुरसा हो गयी
खड़ा रहता है नल
पानी के इंतजार में
और मैं बाल्टी भरने के

बुधवार, 23 मई 2012

जुग जुग जीयो बेटियों


स्कूल जाते हुए
हम जब बनती संवरती
दादी देख-देख गुस्साती
ये रांडे बन संवर के
किधर जाएगीं?
सारा दिन शीशे के सामने
खड़ी रहती है लौंडों सी
हम दादी से बहुत डरते
उसे सामने खाट पर बैठे देखकर
पीछे से निकल जाते
सारे घर में उसका दबदबा कायम था
दादी की ही चलती थी
हम उसकी बहुत परवाह करते
आज दादी वहीं खाट पर बैठे रहती है
कोई नहीं पूछता
न बहु, न पोते
सभी सामने से निकल जाते हैं
दादी झल्ला कर उनसे कहती
मेरी पोतियां ही अच्छी थी
जो मेरा कहना मानती थी
ये निकरमे किसी काम के नहीं
इनका बस चले तो रोटी के
टुकड़े के लिए तरसा दें
जुग जुग जीयो बेटियों

सोमवार, 21 मई 2012

काम वाली बाई


मेरी काम वाली बाई
सुबह आती है/काम पे
नखरे बहुत बताती है
हफ़्ते दस दिन में
पगार बढाने का
रट्टा लगाती है
साथ में लाती है
4 बच्चे अपने पीछे
जब तक वह बर्तन करती है
तब तक बच्चे हंगामा करते हैं
मजबूरी है हमारी/सहते हैं
दफ़्तर जाने की जल्दी में
हम और मियां रहते हैं
घर का काम अधिक है
इसलिए काम वाली बाई
के नखरे सहते हैं
चाय नास्ता रोटी खाना
खूब मजे उड़ाती है
4 घरों में और जाती है
धड़ल्ले से खूब कमाती है
जिस दिन मेहमान आते हैं
उस दिन छुटटी कर जाती है
तब मेरा पारा चढ जाता है
मन करता है उसे भगा दूँ
मै और मियां मिलके
सारे बर्तन घिसते हैं
काम वाली बाई के कारण
दोनो खटते पिसते हैं।
दो महीने की तनखा
एडवांस में जाती है
काम बताओ तो हमको
आँखे दिखलाती है
यूनियन का रौब जमाती है
इसे भगा दें तो
दूसरी बाई नहीं आती है
ये काम वाली बाई
इठलाती/इतराती है
प्याज के भाव से
अधिक रुलाती है।

मंगलवार, 15 मई 2012

मच्छर


मच्छर
दुनिया का सबसे
खतरनाक प्राणी
खून ही जिसकी खुराक है
प्राणी से भोजन पाता
क्षण भंगुर जीवन
पर महाबाहू को
घायल कर जाता
टावर के 18 वें माले पर
अपनी सेना लिए धमक रहे हैं
मस्क्विटो क्वाईल
आल आऊट भी
इसके डर से आऊट हो रहे हैं
डरती हूं कहीं
इकलौता पति है
उसे न काट ले
सैंया की करुं रखवारी
रात भर जाग जाग कर
पंखडी से उड़ाऊं मच्छर
डरती हूं मैं
मच्छर जब भिनभिनाते हैं
तो नाना पाटेकर का
संवाद याद आता है
एक मच्छर भी आदमी को…………

गुरुवार, 10 मई 2012

गुझिया निंगोड़ी


गुझिया
उलझन है जी की
क्या करुं/ पसंद है पी की
बहुत झमेला है
इसे बनाने में
वाट लग जाती है
लाईफ़ की
छोटी सी प्रीत
निभाने में
सूजी मैदा शक्कर
मावा खोया घी
गोल गोल मोड़ कर
बनाऊ पिया जी
कढाई में डालते ही
कड़कती है, भड़कती है
फ़ूट भी जाती/बिखर जाती है
मेरे सपनीले ख्वाबों की तरह
तब/मां-दादी याद आती
नानी भी बहुत याद आती है
गरम तेल की कड़ाही में
गुझिया बादामी हो जाती है
जैसे अंगार पर रखा हो
औरत का जीवन
उबल रहा हो खून
कर रहा हो क्रंदन/जल भुन कर
तब कहीं
गुझिया बनती है
पिया की नजरों में
मुझसे ज्यादा चढती
ये गुझिया निंगोड़ी

मंगलवार, 8 मई 2012

ये मुंबई है मेरी जान……

नीली साड़ी वाली लड़की
बेस्ट के स्टेंड पर
देखती  है गोल गोल आँखों से
चारों ओर
सजग, असहज सी
भीड़ भाड़ धक्का मुक्की के बीच
पहुंचना चाहती है दफ़्तर
समय से
बस आती है
और एक रेला दौड़ पड़ता है
चढने के लिए
वह रह जाती  है
बस चली जाती है
बाबा बोले……
अरे तुम धक्का मुक्की से न डरो
बस आए तो दौड़ कर चढो
नहीं तो रह जाओगी यहीं खड़ी
मशक्कत के बाद
वह चढ जाती है बस में
शाम को जलती है हेडलाईट
रोशनी में नहाई
पहुंचती है घर  
वड़ा पाव के साथ
ये मुंबई है मेरी जान……