कुछ याद नहीं
जब सपने मे तुम आए
चूडियां खनकी
उफ़्फ़! चुंबन से तुम्हारे
बिजली सी कौंधी
पायल कंपकंपाने लगी
उड़ गए कपोत
मेरे हाथों के
सुध न रही
मुझे अपनी ही
जब तुम गिन रहे थे
एक एक चूडियां
हरी लाल नीली
सुनहली सपनीली
सांसो की सरगम
पहुचना चाहती थी
मंजिल पर
सहसा ठहर गया वक्त
घूमती रही धरा
शुन्याकार हुआ
हुआ वुजूद
थरथराते रहे लब
मुंद ली आंखे मैने
सपने में ही
छा गए हर तरफ़
सिर्फ़ तुम ही तुम
जब सपने मे तुम आए
चूडियां खनकी
उफ़्फ़! चुंबन से तुम्हारे
बिजली सी कौंधी
पायल कंपकंपाने लगी
उड़ गए कपोत
मेरे हाथों के
सुध न रही
मुझे अपनी ही
जब तुम गिन रहे थे
एक एक चूडियां
हरी लाल नीली
सुनहली सपनीली
सांसो की सरगम
पहुचना चाहती थी
मंजिल पर
सहसा ठहर गया वक्त
घूमती रही धरा
शुन्याकार हुआ
हुआ वुजूद
थरथराते रहे लब
मुंद ली आंखे मैने
सपने में ही
छा गए हर तरफ़
सिर्फ़ तुम ही तुम
कोमल भावों से सजी ..
जवाब देंहटाएं..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आप बहुत अच्छा लिखती हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!