बुधवार, 12 सितंबर 2012

प्यार है तुमसे--------------





दिल की धड़कन संभाले बैठे है
इंतज़ार में उनके
कभी मिलोगे तो बताएंगे
कितनी चाहत है तुमसे

प्यास नज़रों की संभाले बैठे हैं
इन्कार पे उनके
कभी मिलोगे तो बताएंगे
पतझड़ में बहार है तुमसे

ज़िन्दगी उनपर लुटाये बैठे हैं
ऐतबार पे उनके
कभी मिलोगे तो बताएंगे
मेरी हर सांस है तुमसे

अपनी पलकें झुकाए बैठे हैं
इकरार में उनसे
कभी मिलोगे तो बताएंगे
मुझे प्यार ... प्यार है तुमसे .....  

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

हम जब सिमट के आपकी बाँहों में आ गए

शांत नदी किनारे
जब सूरज डूबे
हाथों में हाथ लिए
एक दूजे में खो जाएं!

सारी दुनिया को भूलकर
प्रीत के गीत गाएं
कुछ तुम मुझसे कहो
कुछ हम तुम्हे सुनाएं!!

मौन शब्दों के भाव
होठों पर आएं
शरमाकर जब हम
बाँहों में सिमट जाएं!!!
 

रविवार, 17 जून 2012

अजायबघर


बढ गया
बिजली का बिल
स्ट्रीट लाईट नहीं जलती
इन्वरटर की बैटरी
लग गयी है कार में
हेडलाईट नहीं जलती
सर को पटकने से
जलती है एल ई डी लाईट
देती है मद्धम रोशनी
पॉंडस का पावडर लगाने से भी
नहीं बढती चमक 
पैरों में आलता लगाते ही
निकल आते हैं सांप बिल से
रात गहराते ही
बड़- बड़े मेंढको से भर गया
घर का आंगन
बाऊंड्री वाल पर बैठा गिरगिट
बुलाता है मुझे सिर हिला  कर
शरम नहीं आती
क्या माँ बहन नही
बिजली ने सितम ढाया
मेरा घर देखो
अजायबघर हो गया है

शुक्रवार, 1 जून 2012

प्रतीक्षा

एक सनसनी
दौड़ती है रगों में
अखबारों की सनसनीखेज
खबरों की तरह
सड़क पर चलते हुए
लौटते हुए ऑफ़िस से
घर की ओर
जब देखती हूं तुम्हे
बढ जाती धड़कने
जल जाती है हेडलाईटे
जल जाती हैं स्ट्रीट लाईटें
जैसे सांझ हो गयी हो
बैठें है आनासागर के किनारे
हाथों में हाथ लिए
सपनों की सौगात लिए
अखबारों की खबरें
बासी हो जाती हैं घंटे भर बाद
पर पुरानी नहीं होती
तुम्हारी याद
फ़ूट पड़ता है यादों का सोता
भावनाओं का जखीरा
लग जाते हैं सवेंदनाओं को पंख
मन उड़ान पर होता
कल्पनाएं सातवें आसमान पर
गर तुम फ़िर मिल जाते
आना सागर के किनारे
प्रतीक्षा है तुम्हारी निरंतर
इस जन्म से अगले जन्म तक

मंगलवार, 29 मई 2012

बाल्टी और नल

गर्मी का मौसम
दहकते अंगारों के बीच
ये बाल्टी
इंतजार में है नल के
जब बाल्टी खाली होती
तब रुठ जाता है नल
मुए मुंशीपाल्टी वाले
भरने नहीं देते बाल्टी
आधी बाल्टी भरते ही
चला जाता है नल
मोंटू की दो चार नैपी धोकर
टांगती हूँ नल पे
बाकी कपड़े तो धोबी के हवाले
खर्च बढ गया धुलाई का
कपड़े भी ठीक से नहीं धोता
प्यासी रह जाती है बाल्टी
और ठगा सा खड़ा रहता है नल
पानी का बिल भरना पड़ता है पूरा
पीने के लिए लाना होता है
मिनरल वाटर
मंहगाई सुरसा हो गयी
खड़ा रहता है नल
पानी के इंतजार में
और मैं बाल्टी भरने के

बुधवार, 23 मई 2012

जुग जुग जीयो बेटियों


स्कूल जाते हुए
हम जब बनती संवरती
दादी देख-देख गुस्साती
ये रांडे बन संवर के
किधर जाएगीं?
सारा दिन शीशे के सामने
खड़ी रहती है लौंडों सी
हम दादी से बहुत डरते
उसे सामने खाट पर बैठे देखकर
पीछे से निकल जाते
सारे घर में उसका दबदबा कायम था
दादी की ही चलती थी
हम उसकी बहुत परवाह करते
आज दादी वहीं खाट पर बैठे रहती है
कोई नहीं पूछता
न बहु, न पोते
सभी सामने से निकल जाते हैं
दादी झल्ला कर उनसे कहती
मेरी पोतियां ही अच्छी थी
जो मेरा कहना मानती थी
ये निकरमे किसी काम के नहीं
इनका बस चले तो रोटी के
टुकड़े के लिए तरसा दें
जुग जुग जीयो बेटियों

सोमवार, 21 मई 2012

काम वाली बाई


मेरी काम वाली बाई
सुबह आती है/काम पे
नखरे बहुत बताती है
हफ़्ते दस दिन में
पगार बढाने का
रट्टा लगाती है
साथ में लाती है
4 बच्चे अपने पीछे
जब तक वह बर्तन करती है
तब तक बच्चे हंगामा करते हैं
मजबूरी है हमारी/सहते हैं
दफ़्तर जाने की जल्दी में
हम और मियां रहते हैं
घर का काम अधिक है
इसलिए काम वाली बाई
के नखरे सहते हैं
चाय नास्ता रोटी खाना
खूब मजे उड़ाती है
4 घरों में और जाती है
धड़ल्ले से खूब कमाती है
जिस दिन मेहमान आते हैं
उस दिन छुटटी कर जाती है
तब मेरा पारा चढ जाता है
मन करता है उसे भगा दूँ
मै और मियां मिलके
सारे बर्तन घिसते हैं
काम वाली बाई के कारण
दोनो खटते पिसते हैं।
दो महीने की तनखा
एडवांस में जाती है
काम बताओ तो हमको
आँखे दिखलाती है
यूनियन का रौब जमाती है
इसे भगा दें तो
दूसरी बाई नहीं आती है
ये काम वाली बाई
इठलाती/इतराती है
प्याज के भाव से
अधिक रुलाती है।