गुरुवार, 30 अगस्त 2012

हम जब सिमट के आपकी बाँहों में आ गए

शांत नदी किनारे
जब सूरज डूबे
हाथों में हाथ लिए
एक दूजे में खो जाएं!

सारी दुनिया को भूलकर
प्रीत के गीत गाएं
कुछ तुम मुझसे कहो
कुछ हम तुम्हे सुनाएं!!

मौन शब्दों के भाव
होठों पर आएं
शरमाकर जब हम
बाँहों में सिमट जाएं!!!
 

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