मंगलवार, 8 मई 2012

ये मुंबई है मेरी जान……

नीली साड़ी वाली लड़की
बेस्ट के स्टेंड पर
देखती  है गोल गोल आँखों से
चारों ओर
सजग, असहज सी
भीड़ भाड़ धक्का मुक्की के बीच
पहुंचना चाहती है दफ़्तर
समय से
बस आती है
और एक रेला दौड़ पड़ता है
चढने के लिए
वह रह जाती  है
बस चली जाती है
बाबा बोले……
अरे तुम धक्का मुक्की से न डरो
बस आए तो दौड़ कर चढो
नहीं तो रह जाओगी यहीं खड़ी
मशक्कत के बाद
वह चढ जाती है बस में
शाम को जलती है हेडलाईट
रोशनी में नहाई
पहुंचती है घर  
वड़ा पाव के साथ
ये मुंबई है मेरी जान……

7 टिप्‍पणियां:

  1. महानगर की दुश्वारियों पर हेटलाइट का प्रकाश डालती रचना

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  2. साफ़ और सही तस्वीर मुम्बईकरो की ...पर क्या करे ,हमें तो यही रहना हैं और यू ही मरना हैं ...क्योकि यह माझी मुंबई हैं जी ....क्या ????

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  3. महानगर की हकीकत को प्रस्‍तुत किया गया है ..
    सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

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  4. शाम को जलती है हेडलाईट
    रोशनी में नहाई
    पहुंचती है घर
    इस प्रकाश से प्रकाशित हो उठती है सारी मुंबई... सुन्दर रचना... आभार

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  5. महानगर की हकीकत
    ...बेहतरीन प्रस्तुति।

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